राजस्थान की उत्पत्ति (Origin of Rajasthan)
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राजस्थान की उत्पत्ति
भूगोल का जनक – हिकैटियस
- इन्होंने सर्वप्रथम स्थल भाग को सागरों से घिरा हुआ माना तथा दो महादेशों के बारे में अपना ज्ञान दिया।
- उन्होंने पीरियड्स विश्व का प्रथम क्रमबद्ध का वर्णन किया और इसलिए एच॰ एफ॰ टॉजर द्वारा हिकेटियस (550 ईसा पूर्व) को ‘भूगोल का पिता’ की उपमा दी गई।
- भूगोल के अंग्रेजी अर्थ “Geography” से संबंधित “ज्योग्राफिका (Geographica)” शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले इरेटास्थनीज (Eratosthenes) द्वारा किया था।
- अलेक्जेंडर (Alexander) को वर्तमान भूगोल का जनक (Father of Modern Geography) माना जाता है।
महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धांत
महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धांत – महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धांत जर्मन वैज्ञानिक अल्फ्रेड वेगनर द्वारा दिया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार सभी महाद्वीप एक बड़े भूखंड से जुड़े हुए थे। यह भूखंड एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था।
पैंजिया – वेगनर के अनुसार सभी महाद्वीप एक बड़े भूखंड से जुड़े हुए थे। इस बड़े महाद्वीप को उन्होंने पैंजिया का नाम दिया गया। कालान्तर में पैंजिया विभाजित होकर दो बड़े भूखंडों में विभक्त हुआ। जिनमें से उत्तरी भाग को लारेशिया / अंगारालैण्ड और दक्षिणी भाग को गोंडवानालैण्ड कहा गया। बाद में ये खंड विभक्त होकर आज के महाद्वीपों के रूप में परिवर्तित हो गए।
पैंथालासा – वेगनर ने महासागरों के संयुक्त रूप को पैंथालसा नाम दिया गया। इसका मूल महासागर प्रशांत महासागर है।
टेथिस सागर – अंगारालैण्ड व गोंडवानालैण्ड के मध्य स्थित भू सन्नति
राजस्थान का निर्माण :-
- विश्व के संदर्भ में राजस्थान का निर्माण गोंडवानालैण्ड व टेथिस सागर से हुआ हुआ है। राजस्थान का पश्चिमी रेतीला प्रदेश और पूर्वी मैदानी प्रदेश टेथिस सागर का भाग है जबकि अरावली व दक्षिणी – पूर्वी पठारी प्रदेश गोंडवानालैण्ड के अवशेष है।
- भारत के संदर्भ में पश्चिमी रेतीला प्रदेश और पूर्वी मैदानी प्रदेश उत्तर के विशाल मैदान के भाग है जबकि अरावली व दक्षिणी – पूर्वी पठारी प्रदेश प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश के भाग है।
Note – राजस्थान व भारत के किसी भी भूभाग का निर्माण अंगारालैण्ड से नही हुआ हुआ है।